Thursday, 28 May 2015

तुमको देखे हुए ग़ुज़रे हैं ज़माने आओ

तू मेरे साथ न चल, ऐ मेरी रूह-ए-ग़ज़ल
लोग बदनाम न कर दें तू इरादों को बदल।
मैंने माना कि बहुत प्यार किया है तूने
साथ ही जीने का इकरार है तूने
मान ले बात मेरी देख तू इस राह न चल।
साथ देखेंगे तो फिर लोग कहेंगे क्या-क्या
सोच ले, सोच ले इलज़ाम धरेंगे क्या-क्या
ऐ मेरी परदा-नशीं देख न परदे से निकल।
अपनी उलफ़त पे कभी आँच न आ जाए कहीं
तेरी रुसवाई हो ये बात गँवारा ही नहीं।
देख नादान न बन, होश में आ, यूँ न मचल।

आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया।
दिन की वो महफिलें गईं, रातों के रतजगे गए
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
झोंका है एक बहार का रंग-ए-ख़याल यार भी,
हर-सू बिखर-बिखर गई ख़ुशबू जिधर चला गया।
उसके ही दम से दिल में आज धूप भी चाँदनी भी है,
देके वो अपनी याद के शम्स-ओ-क़मर चला गया
कूचा-ब-कूचा दर-ब-दर कब से भटक रहा है दिल,
हमको भुला के राह वो अपनी डगर चला गया।

ख़ुदा करे कि मोहब्बत में ये मक़ाम आए
किसी का नाम लूँ लब पे तुम्हारा नाम आए।
कुछ इस तरह से जिए ज़िन्दग़ी बसर न हुई
तुम्हारे बाद किसी रात की सहर न हुई
सहर नज़र से मिले ज़ुल्फ़ ले के शाम आए।
ख़ुद अपने घर में वो मेहमान बन के आए हैं
सितम तो देखिए अनजान बन के आए हैं
हमारे दिल की तड़प आज कुछ तो काम आए।
वही है साज़ वही गीत है वही मंज़र
हर एक चीज़ वही है नहीं है तुम वो मगर
उसी तरह से निग़ाहें उठें, सलाम आए।

गली-गली तेरी याद बिछी है, प्यार रस्ता देख के चल
मुझसे इतनी वहशत है तो मेरी हदों से से दूर निकल।
एक समय तेरा फूल-सा नाज़ुक हाथ था मेरे शानों पर
एक ये वक़्त कि मैं तनहा और दुख के काँटों का जंगल।
याद है अब तक तुझसे बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे
तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल।
मेरा मुँह क्या देख रहा है, देख उस काली रात तो देख
मैं वही तेरा हमराही हूँ, साथ मेरे चलना है तो चल।

तेरे भीगे बदन की खुशबू से लहरें भी हुईं मस्तानी सी
तेरा ज़ुल्फ़ को छूकर आज हुई ख़ामोश हवा दीवानी सी।
ये रूप का कुंदन दहका हुआ ये जिस्म का चंदन महका हुआ
इलज़ाम न देना फिर मुझको हो जाए अगर नादानी सी।
बिखरा हुआ काजल आँखों में तूफ़ान की हलचल साँसों में
ये नर्म लबों की ख़ामोशी पलकों में छुपी हैरानी सी।

तुझे क्या ख़बर मेरे हमसफ़र, मेरा मरहला कोई और है।
मुझे मंज़िलों से गुरेज़ है मेरा रास्ता कोई और है।
मेरी चाहतों को न पूछिए, जो मिला तलब के सिवा मिला
मेरी दास्ताँ ही अजीब है, मेरा मसला कोई और है।
वो रहीम है, वो करीम है, वो नहीं कि ज़ुल्म सदा करे
है यक़ीं ज़माने को देखकर कि यहाँ ख़ुदा कोई और है।
मैं चला कहाँ से ख़बर नहीं, इस सफ़र में है मेरी ज़िन्दगी
मेरी इब्तदा कहीं और है मेरी इंतहा कोई और है।
मेरा नाम ‘दर्शन’ है खतन, मेरे दिल में है कोई लौ पिघन
मैं हूँ गुम किसी की तलाश में मुझे ढूँढता और है।

दो जवाँ दिलों का ग़म दूरियाँ समझती हैं
कौन याद करता है हिचकियाँ समझती हैं।
तुम तो ख़ुद ही क़ातिल हो, तुम ये बात क्या जानो
क्यों हुआ मैं दीवाना बेड़ियाँ समझती हैं।
बाम से उतरती है जब हसीन दोशीज़ा
जिस्म की नज़ाक़त को सीढ़ियाँ समझती हैं।
यूँ तो सैर-ए-गुलशन को कितना लोग आते हैं
फूल कौन तोड़ेगा डालियाँ समझती हैं।
जिसने कर लिया दिल में पहली बार घर ‘दानिश’
उसको मेरी आँखों की पुतलियाँ समझती हैं

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।
फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।
मैं हर एक हाल में आपका हूँ
आप देखें मुझे जिस नज़र से।
ज़िन्दग़ी वो सम्भल ना सकेगी
गिर गई जो तुम्हारी नज़र से।
बिजलियों की तवाजों में ‘बेकल’
आशियाना बनाओ शहर से।



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अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।
ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।
बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।



सोचते और जागते साँसों का इक दरिया हूँ मैं।
अपने गुमगश्ता किनारों के लिए बहता हूँ मैं।
जल गया सारा बदन इन मौसमों की आग में
एक मौसम रूह का है जिसपे अब ज़िंदा हूँ मैं।
मेरे होंठों का तबस्सुम दे गया धोखा तुझे
तूने मुझको बाग़ जाना देख ले सहरा हूँ मैं।
देखिए मेरी पज़ीराई को अब आता है कौन
लम्हा भर को वक़्त की दहलीज़ पे आया हूँ मैं।

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था।
वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार सू
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था।
रात भर पिछली ही आहट कान में आती रही
झाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था।
ख़ुद चढ़ा रखे थे तन पर अजनबीयत के गिलाफ़
वर्ना कब एक दूसरे को हमने पहचाना न था।
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी’अदीम’
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था।

हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है।
उस मय से नहीं मतलब दिल जिससे हो बेगाना
मकसूद है उस मय से दिल ही में जो खिंचती है।

उधर ज़ुल्फ़ों में कंघी हो रही है, ख़म निकलता है
इधर रुक रुक के खिंच खिंच के हमारा दम निकलता है।
इलाही ख़ैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है
न उनका ख़म निकलता है न हमारा दम निकलता है।

सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें काफ़िर अल्लाह की मरज़ी है।

गर सियाह-बख़्त ही होना था नसीबों में मेरे
ज़ुल्फ़ होता तेरे रुख़सार कि या तिल होता।
जाम जब पीता हूँ मुँह से कहता हूँ बिसमिल्लाह
कौन कहता है कि रिन्दों को ख़ुदा याद नहीं।

जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है,
बंदे के दिल में क्या है अल्लाह जानता है।
ये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता है,
पर्दों में क्या छिपा है अल्लाह जानता है।
जाकर जहाँ से कोई वापस नहीं है आता,
वो कौन सी जगह है अल्लाह जानता है
नेक़ी-बदी को अपने कितना ही तू छिपाए,
अल्लाह को पता है अल्लाह जानता है।
ये धूप-छाँव देखो ये सुबह-शाम देखो
सब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता है।
क़िस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन
क़िस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है

कोई समझाए ये क्या रंग है मैख़ाने का
आँख साकी की उठे नाम हो पैमाने का।
गर्मी-ए-शमा का अफ़साना सुनाने वालों
रक्स देखा नहीं तुमने अभी परवाने का।
चश्म-ए-साकी मुझे हर गाम पे याद आती है,
रास्ता भूल न जाऊँ कहीं मैख़ाने का।
अब तो हर शाम गुज़रती है उसी कूचे में
ये नतीजा हुआ ना से तेरे समझाने का।
मंज़िल-ए-ग़म से गुज़रना तो है आसाँ ‘इक़बाल’
इश्क है नाम ख़ुद अपने से गुज़र जाने का।

आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया।
उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया।
ऐसे बिछड़े सभी रात के मोड़ पर
आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया।
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया।

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं,
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है,
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं।
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से
किसको मालूम कहाँ के हैं, किधर के हम हैं।
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं किस राहग़ुज़र के हम हैं।

अपनी ग़ज़लों में तेरा हुस्न सुनाऊँ आ जा
आ ग़म-ए-यार तुझे दिल में बसाऊँ आ जा।
बिन किए बात तुझे बात सुनाकर दिल की
तेरी आँखों में हया रंग सजाऊँ आ जा।
अनछुए होंठ तेरे एक कली से छू कर
उसको मफ़हूम नज़ाक़त से मिलाऊँ आ जा।
मैंने माना कि तू साक़ी है मैं मैकश तेरा
आज तू पी मैं तुझे जाम पिलाऊँ आ जा।
हीर वारिस की सुनाऊँ मैं तुझे शाम ढले
तुझमें सोए हुए जज़्बों को जगाऊँ आ जा।
ऐं मेरे सीने में हर आन धड़कती ख़ुशबू
आ मेरे दिल में तुझे तुझसे मिलाऊँ आ जा।

आज फिर उनका सामना होगा
क्या पता उसके बाद क्या होगा।
आसमान रो रहा है दो दिन से
आपने कुछ कहा-सुना होगा।
दो क़दम पर सही तेरा कूचा
ये भी सदियों का फ़सला होगा।
घर जलाता है रोशनी के लिए
कोई मुझ सा भी दिलजला होगा।

Friday, 8 May 2015

किसी भी प्रकार की मित्रता के पीछे भी कुछ न कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है।

पत्थर तब तक सलामत है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है,
पत्ता तब तक सलामत है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है,
इंसान तब तक सलामत है जब तक वो परिवार से जुड़ा है,
क्योंकि, परिवार से अलग होकर आज़ादी तो मिल जाती है,
लेकिन संस्कार चले जाते हैं


किसी ने भगवान को पुछा
” जहर क्या होता है ? ”
भगवान ने बहुत सुन्दर जबाब दिया,
” हर वो चीज जो जिन्दगी मे
आवश्यकता से अत्यधिक होती है,
वही जहर होती है !


मां तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है,
मां की हर दुआ कबूल है ,
मां को नाराज करना
इंसान तेरी भूल है ,
मां के कदमो की मिट्टी
जन्नत की धूल है !!


बहता पानी ही पत्थरों पर निशान छोड़ता है
परपत्थर पानी पर कोई निशान नहीं छोड़ता है
इसलिए कहते हैं चलने का नाम ज़िन्दगी है


 ज़िन्दगी के पाँच सच ~
सच नं. 1 -:
माँ के सिवा कोई वफादार नही हो सकता…!!!
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सच नं. 2 -:
गरीब का कोई दोस्त नही हो सकता…!!
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सच नं. 3 -:
आज भी लोग अच्छी सोच को नही,
अच्छी सूरत को तरजीह देते हैं…!!!
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सच नं. 4 -:
इज्जत सिर्फ पैसे की है, इंसान की नही…!!!
────────────────────────
सच न. 5 -:
जिस शख्स को अपना खास समझो….
अधिकतर वही शख्स दुख दर्द देता है…!!!


झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुस्साहस करना, छल-कपट करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता - ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं।

भोजन के लिए अच्छे पदार्थों का उपलब्ध होना, उन्हें पचाने की शक्ति का होना, सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग के लिए कामशक्ति का होना, प्रचुर धन के साथ-साथ धन देने की इच्छा होना। ये सभी सुख मनुष्य को बहुत कठिनता से प्राप्त होते हैं।

जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में रहता है, जिसकी पत्नी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है और जो व्यक्ति अपने कमाए धन से पूरी तरह संतुष्ट रहता है। ऐसे मनुष्य के लिए यह संसार ही स्वर्ग के समान है।

वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।

जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है।वह उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है।

जिस प्रकार पत्नी के वियोग का दुख, अपने भाई-बंधुओं से प्राप्त अपमान का दुख असहनीय होता है, उसी प्रकार कर्ज से दबा व्यक्ति भी हर समय दुखी रहता है।

मनुष्य का जन्म बहुत सौभाग्य से मिलता है, इसलिए हमें अपने अधिकाधिक समय का वे‍दादि शास्त्रों के अध्ययन में तथा दान जैसे अच्छे कार्यों में ही सदुपयोग करना चाहिए।

जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास नहीं करना चाहिए, परंतु इसके साथ ही अच्छे मित्र के संबंद में भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है। अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है।

व्यक्ति को कभी अपने मन का भेद नहीं खोलना चाहिए। उसे जो भी कार्य करना है, उसे अपने मन में रखे और पूरी तन्मयता के साथ समय आने पर उसे पूरा करना चाहिए।

बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुँचाने वाले तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।

जो व्यक्ति शक्ति न होते हुए भी मन से हार नहीं मानता,
उसको दुनिया की कोई भी ताकत हरा नहीं सकती है

जो मनुष्य जाड़े-गर्मी की चिंता नहीं करता, सदा मैत्रीभाव से रहता है वही जीवन में महान सफलता प्राप्त करता है। 

जब आपका बच्चा जवानी की दहलीज पर पैर रखें यानी कि सोलह-सत्रह वर्ष का होने लगे तब आप संभल जाए और उसके साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करें। यह बहुत जरूरी है। 

अपने ईमान और धर्म बेचकर कर कमाया गया धन अपने किसी काम का नहीं होता। अत: उसका त्याग करें। आपके लिए यही उत्तम है। 

बहुत भूखे रहते हुए भी थोड़े में ही संतुष्ट रहना, गहरी निद्रा में रहने के बावजूद झटपट जागना, स्वामिभक्ति और बहादुरी का यह गुण हमें कुत्ते से सीखना चाहिए। 

जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हो। ऐसे लोगों से दूर ही रहें। क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है। जो किसी और का ना हुआ वो भला आपका क्या होगा। 

जीवन में पुरानी बातों को भुला देना ही उचित होता है। अत: अपनी गलत बातों को भुलाकर वर्तमान को सुधारते हुए जीना चाहिए। 

जीवन काल में बहुत जरूरी है कि अपने ऊपर आने वाले संकट के लिए कुछ धन हमेशा बचाकर रखें। बुरे समय में यही आपका रक्षा कवच बनेगा। 

किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।

अगर कोई व्यक्ति कमजोर है तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

किसी भी प्रकार की मित्रता के पीछे भी कुछ न कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है।


ज़िंदगी में कभी मुस्कुराने की दुआ ना देना, मुझे पल भर मुस्कुराने की सज़ा मालूम है.

कभी सनम को छोड़ के देख लेना*
कभी शहीदों को याद करके देख लेना
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो
*मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना

अक्सर वो ही लोग..
हम पर उंगली उठाते हे… 
जिनकी हमे छूने की औकात नही होती

काम चाहे छोटा हो या बड़ा, एक बार हाथ में लेने के बाद उसे कभी छोड़ना नहीं चाहिए । 
अपनी पूरी लगन और सामर्थ्य से उस काम को पूरा करना चाहिए । 
यह गुण हमें सिंह से लेना चाहिए, जो एक बार पकड़े हुए शिकार को कदापि नहीं छोड़ता

अपने सामथ्र्य का पूर्ण विकास
न करना दुनिया में सबसे बड़ा अपराध हैं।
जब आप अपनी पूर्ण क्षमता के साथ कार्य
करते हैं, तब आप दूसरों की सहायता करते हैं।

दूसरों को खुशी देने वाला ही खुशहाल होता है,
 अपने से जुड़े हर छोटे-बड़े को अपने व्यवहार से खुश करने की आदत डालो।

हर बात में धीरजरखें, विशेषकर
अपने आप से। अपनी कमियों
को लेकर धैर्य न खोएं अपितु
तुरंतउनका समाधान करना शुरू
करें, हर दिन कर्म की नई शुरुआत है।

ठोकर खाकर गुनगुनाना जिंदगी है, गम पाकर मुस्कुराना ज़िन्दगी है..........
सुख के साथ जिये तो क्या जिये, गम भुलाकर जशन मनाना जिंदगी है...

क्या रखा है खुद को रोज़ ऊँचा बताने में,
थोड़ी सी शौहरत पा इस कदर इतराने में.
कुछ फैसले तो विधि के हाथ हुआ करते है,
वर्ना कितने ही बेहतर है तुझसे ज़माने में..

बिंदास मुस्कुराओ क्या ग़म है,..
ज़िन्दगी में टेंशन किसको कम है..
अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है..
जिन्दगी का नाम ही..
कभी ख़ुशी कभी गम है.


प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती

मुझे खाक करने को लोगों ने खूब लगाई आग. 
मै खरा सोना था, 
हर आँच से निखरता गया1

शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है.एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पता है.
 शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.

अपमानित होके जीने से अच्छा मरना है.मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है,
 लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है.

इंसान के शरीर में 1 लाख 39 हज़ार नसे होती है,
सिर्फ बीवी और गर्ल फ्रेंड ही जानती है कि,
.
कब कौनसी दबानी है

ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो...
उसे वक्त पर हासिल करो...
क्योंकि...ज़िन्दगी मौके कम और.....
धोखे ज्यादा देती है..

ज़िंदगी में कभी
मुस्कुराने की दुआ ना देना,
मुझे पल भर
मुस्कुराने की सज़ा मालूम है.






औकात की बात मत कर पगली

लम्हे ये सुहाने साथ हो न हो,
कल में आज जैसी कोई बात हो न हो!
आपकी दोस्ती हमेशा इस दिल में रहेगी,
चाहे कभी आपसे मुलाकात हो न हो!!

हर इक इंसान की एक अलग पहचान होती है,
पर हमारे SMS की अलग ही शान होती है!
यूँ तो हर किसी को हम SMS करते नहीं हैं
पर जिनको करते हैं उनमे हमारी जान होती है!!

कुछ दोस्त पल भर में भुला दिए जाते हैं,
कुछ दोस्त पल-पल याद आते हैं!
हम आपसे यही पूछना चाहते हैं,
के दोस्तों कि इस कतार में हम कहाँ आते हैं!!

हम कभी दोस्तों को भुलाते नहीं,
मगर ये बात कभी भी जताते नहीं.
दोस्तों को हर पल याद रखते हे,
हम भुलाने के लिए दोस्त बनाते नहीं.

औकात की बात मत कर पगली ;
हम जिस गली मे पैर
रखते हैं न। वहां की लडकिया अक्सर
कहती हैं ...
बहारो फूल बरसाओ मैरा महबूब आया है

हमे हँसने हसाने की आदत है, 
नज़रों से नज़रें मिलाने की आदत है
. पर क्या करें हमारी नज़र तो उनसे जा मिली, 
जिन्हे नज़र झुकाने की आदत है

दोस्ती से कीमती कोई जागीर नही होती;
दोस्ती से खूबसूर्त कोई तस्वीर नही होती;
दोस्ती यूँ तो कचा धागा है मगर;
इस धागे से मजबूत कोई ज़ंजीर नही होती!

फुर्सत किसे है ज़ख्मोंपे मरहम लगानेकी
निगाहें बदल गयी अपने और बेगानेकी,
तू न छोड़ना दोस्तीका हाथ,
वरना तम्मना मिट जायेगी कभी दोस्त बनाने की..


ईक अलग सी पहचान बनने की आदत है 
जख्म हैं जितने गहरे उतना 
मुस्कुराने की आदत है,
सब कुछ लूटा देते है दोस्ती में 
क्योंकि दोस्ती निभाने की आदत है हमें

इश्क और दोस्ती मेरी जिंदगी का हिस्सा है 
इश्क मेरी रुह और दोस्ती मेरी जान है,
इश्क पर कर दूँ फिदा अपनी जिंदगी,
मगर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान हैं,,

हो गई शाम किसी के इंतजार में,
ढल गई रात उसी के इंतजार में,
फिर होगा सवेरा उसी के इंतजार में,
इंतजार की आदत पड़ गई है इंतजार में

मुस्कराहट तुमही से मिलती है,
दर्द से राहत तुमही से मिलती है,
रूठना कभी मत हमसे ये दोस्त,
हमें जिने की चाहत तुमही से मिलती है

पागल हे वो लोग जो अपने लवर को मिस किया करते हे
अरे!! मिस करना हे तो मच्छर को करो
जो अपनी जान पर खेल कर आप को किस किया करते हे

गम कि आहट भी न आये तेरे दर पर,
प्यार के समुन्दर का तू भी एक किनारा हो!
कभी भूल से जो टपके तेरी आँख से मोटी ,
थामे वही जो तुझे सबसे प्यारा हो!

किसी मोड़ पे हम आपको खोने नहीं देंगे,
जुदा होना चाहो तो होने नहीं देंगे!
चांदनी रातों में आएगी मेरी याद,
मेरी याद के वो पल आपको सोने नहीं देंगे!

भूलाना तुम्हे न आसान होगा,
जो भूले तुम्हे वो नादान होगा!
आप तो बस्ते हो रूह में हमारी,
बस आप हमें न भूलना ये एहसान होगा!!

आज दूर से ही कोई सलाम कर गया,
अपनी यादों का गुलाम कर गया!
अपनी ज़िन्दगी गिरवी राखी थी जिसके पास,
आज वही नीलाम कर गया!!
वादा करते हैं के हम प्यार निभायेंगे,
कभी भी आपको हम नहीं सतायेंगे!
जरूरत पड़ी तो एक बार आवाज दे देना,
किसी और के दिल में होंगे तो भी चले आयेंगे!!

ख़ुशी से दिल को आबाद करना,
गम को दिल से आजाद करना!
बस इतनी गुजारिश है आपसे कि,
हो सके तो दुआओं में हमें भी याद करना!!

हर यादों में उसी कि याद रहती है,
मेरी आँखों को उसी कि तलाश रहती है!
कुछ तुम भी दुआ किया करो यारों,
सुना है दोस्तों में फरिश्तों कि फ़रियाद होती है!!

न दिन का पता हैं न रात का,
एक जवाब दे रब मेरे बात का!
इतने दिन हो गए है उनसे मिले हुए,
कब रखा है दिन हमारी मुलाकात का!!

इतना प्यार ना करो के बिगड़ जाये हम,
थोडा डांटा भी करो के सुधर जाये हम!
हो जाये गर हमसे कोई खता तो हो खफा,
मगर इतना भी न होना के मर जाये हम!!

हर आरजू हमेशा अधूरी नहीं होती,
प्यार में फासलों की कभी दूरी नहीं होती!
जिसके दिल में आप जैसा हमसफ़र रहता है,
उनके लिए तो धडकनों की भी जरूरत नहीं होती!

अब और मंज़िल पाने कि हसरत नहीं,
किसी कि याद में मर जेन कि फितरत नहीं!
आप जैसे प्यार जब से मिला है हमें,
किसी और को पाने कि जरूरत नहीं!!

ज़िन्दगी ज़ख्मो से भरी है,
वक़्त को मरहम बनाना सिख लो!
हारना तो है ही मौत के हाथों एक दिन,
फिलहाल ज़िन्दगी को जीना सिख लो!!

थोडा दिल से सोचा है हमने,
थोडा दिल से जाना है हमने!
मुश्किल से पहचाना है हमने,
इसलिए दोस्त आपको माना है हमने!!
कुछ दोस्त पल भर में भुला दिए जाते हैं,
कुछ दोस्त पल-पल याद आते हैं!
हम आपसे यही पूछना चाहते हैं,
के दोस्तों कि इस कतार में हम  कहाँ आते हैं!!


हर इक इंसान की एक अलग पहचान होती है,
पर हमारे  SMS  की अलग ही शान होती है!
यूँ तो हर किसी को हम SMS  करते नहीं हैं
पर जिनको करते हैं उनमे हमारी जान होती है!!


लम्हे ये सुहाने साथ हो न हो,
कल में आज जैसी कोई बात हो न हो!
आपकी दोस्ती हमेशा इस दिल में रहेगी,
चाहे कभी  आपसे मुलाकात हो न हो!


गम कि आहट भी न आये तेरे दर पर,
प्यार के समुन्दर का तू भी एक किनारा हो!
कभी भूल से जो टपके तेरी आँख से मोटी ,
थामे वही जो तुझे सबसे प्यारा हो!


किसी मोड़ पे हम  आपको खोने नहीं देंगे,
जुदा होना चाहो तो होने नहीं देंगे!
चांदनी रातों में आएगी मेरी याद,
मेरी याद के वो पल आपको सोने नहीं देंगे!


भूलाना तुम्हे न आसान होगा,
जो भूले तुम्हे वो नादान  होगा!
आप तो बस्ते हो रूह में हमारी,
बस आप हमें न भूलना ये एहसान होगा!!


आज दूर से ही कोई सलाम कर गया,
अपनी यादों का गुलाम कर गया!
अपनी ज़िन्दगी गिरवी राखी थी जिसके पास,
आज वही  नीलाम कर गया!!


वादा करते हैं के  हम प्यार निभायेंगे,
कभी भी आपको हम नहीं सतायेंगे!
जरूरत पड़ी तो एक बार आवाज दे देना,
 किसी और के दिल में होंगे तो भी चले आयेंगे!


ख़ुशी से दिल को आबाद करना,
गम को दिल से आजाद करना!
बस इतनी गुजारिश है आपसे कि,
हो सके तो दुआओं में हमें भी याद करना!


हर यादों में उसी कि याद रहती है,
मेरी आँखों को उसी कि तलाश रहती है!
कुछ तुम भी दुआ किया करो यारों,
सुना है दोस्तों में फरिश्तों कि फ़रियाद होती है!


न दिन का पता हैं  न रात का,
एक जवाब दे रब मेरे बात का!
इतने दिन हो गए है उनसे मिले हुए,
कब रखा है दिन हमारी मुलाकात का!


इतना प्यार ना करो के बिगड़ जाये हम,
थोडा डांटा भी करो के सुधर जाये हम!
हो जाये गर हमसे कोई खता तो हो  खफा,
मगर इतना भी न होना के मर जाये हम!


हर आरजू हमेशा अधूरी नहीं होती,
प्यार में फासलों की कभी दूरी नहीं होती!
जिसके दिल में आप जैसा हमसफ़र रहता है,
उनके लिए तो धडकनों की भी जरूरत नहीं होती!


अब और मंज़िल पाने कि हसरत नहीं,
किसी कि याद में मर जेन कि फितरत नहीं!
आप जैसे == जब से मिला है हमें,
किसी और को पाने कि जरूरत नहीं!


ज़िन्दगी ज़ख्मो से भरी है,
वक़्त को मरहम बनाना सिख लो!
हारना तो है ही मौत के हाथों एक दिन,
फिलहाल ज़िन्दगी को जीना सिख लो!


थोडा दिल से सोचा है हमने,
थोडा दिल से जाना है हमने!
मुश्किल से पहचाना है हमने,
इसलिए दोस्त आपको माना है हमने!